Dalahi Kund : भारत का अनोखा कुंड, ताली बजाने पर ऊपर उठता है पानी!

Dalahi Kund : दुनिया भर में कई ऐसे कुंड और झीलें हैं, जिनकी सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। आज हम आपको भारत के एक ऐसे रहस्यमयी कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में कापई अनोखा है। यहां ताली पानी बजाने पर कुंड का पानी ऊपर उठने लगता है, जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने, लेकिन यह सच है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि ऐसा क्यों होता है इसके पीछे की गुत्थी विज्ञान भी नहीं सुलझा सका है, तो फिर चलिए जानते है कि ये कुड कहां है।
कहां स्थित है यह कुंड
दरअसल, हम जिस कुंड की बात कर रहे हैं वह झारखंड के बोकारो शहर से करीब 27 किमी दूर स्थित है। इसका नाम है 'दलाही कुंड' (Dalahi Kunda) है। यहां पानी ताली बजाने पर खुद-ब-खुद ऊपर उठने लगता है, जो वैज्ञानिकों के लिए भी एक पहेली बना हुआ है।
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कुंड के पानी में नहाने के फायदे
दलाही कुंड का पानी मौसम के हिसाब से बदलता रहता है। गर्मियों में यह पानी ठंडा रहता है, जबकि सर्दियों में यह गर्म होता है। माना जाता है कि इस कुंड के पानी में नहाने से त्वचा से संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, इसमें सल्फर और हीलियम गैस हो सकती है, जिससे यह प्रभाव पड़ता है।
वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए रहस्य
दलाही कुंड एक धार्मिक स्थल है, जिसे देवता दलाही गोसाई का पूजा स्थल माना जाता है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने कई बार ताली बजाने पर पानी के ऊपर उठने का कारण जानने की कोशिश की, लेकिन अब तक किसी को भी सफलता नहीं मिली है। इस चमत्कारी घटना के कारण लोग दूर-दूर से इसे देखने के लिए आते हैं। हर साल मकर संक्रांति के दौरान यहां एक बड़ा मेला भी लगता है।
पानी आता कहां से है?
इस कुंड का पानी काफी साफ और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। हालांकि, अब तक कोई यह नहीं जान सका कि इस पानी का स्रोत क्या है। कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पानी जमुई नामक नाले से होकर गरगा नदी में मिलता है, लेकिन यह पुष्टि नहीं हो पाई है।
ताली बजाने पर पानी क्यों उठता है?
अब तक का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि ताली बजाने पर पानी ऊपर क्यों उठता है। दरअसल, कुंड का पानी बहुत नीचे स्थित है। जब ताली बजाई जाती है, तो ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं और इन तरंगों के कारण पानी ऊपर उठता है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसे वैज्ञानिक अभी तक पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं।
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