Hyderabad Madhavi Murder Case : पत्नी को काटकर कुकर में उबाला, बेदर्दी से किया ग्राइंड, मांस के एक टुकड़े ने खोला हैदराबाद मर्डर मिस्ट्री का राज

Hyderabad Madhavi Murder Case : हैदराबाद पुलिस को बीते 11 दिनों से उलझाए रखने वाली मर्डर मिस्ट्री आखिरकार सुलझ गई है। मांस के एक छोटे ने इस हत्याकांड की परत दर परत खुल गई है, कि कैसे एक पति ने अपनी पति को दर्दनाक मौत दी। इस केस ने पूर्व फौजी की ऐसी हैवानियत को उजागर किया, जिसे सुन आपकी रूह कांप जाएगी। आइए जानते है कि कैसे यह हत्याकांड सुलझा (Hyderabad Madhavi Murder Case) और क्या-क्या खुलासे हुए।
एक पति ने अपनी पत्नी की हत्या के बाद पूरे 10 घंटे तक उसकी शव के छोटे-छोटे टुकड़े किए, उन्हें गर्म पानी में उबाला, फिर ग्राइंडर में पीसकर ठिकाने लगाने की कोशिश की। लेकिन अपराध कितना भी योजनाबद्ध क्यों न हो, आखिरकार एक मामूली सा सुराग ही उसे बेनकाब कर देता है।
चार वारदात, एक जैसी कहानी
क्या अपराधी एक-दूसरे से अपराध के तरीके सीखते हैं? क्या मीडिया में दिखाई गई घटनाएं नए अपराधों को जन्म देती हैं? इन सवालों के जवाब खोजने से पहले आइए चार घटनाओं पर नजर डालते हैं।
- दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड, जहां हत्या के बाद लाश के टुकड़े कर फ्रिज में रखे गए।
- मुंबई में एक महिला की हत्या के बाद उसके शव के टुकड़ों को कुकर में उबाला गया।
- हैदराबाद में, एक पति ने पत्नी की हत्या कर लाश को पेंट के पुराने बकेट में रखकर गर्म पानी में गलाने की कोशिश की।
चारों घटनाएं अलग-अलग शहरों की हैं, लेकिन इनकी कहानी एक जैसी है—हत्या, शव के टुकड़े, और सबूत मिटाने की कोशिश।
10 घंटे का निर्मम अपराध
हैदराबाद के ताजा मामले में, आरोपी नकाब के पीछे एक पूर्व फौजी और पति निकला। उसने पहले पत्नी की हत्या की, फिर उसके शव के टुकड़े किए और उन्हें खत्म करने की कोशिश की। महज 10 घंटे में उसने पूरा अपराध अंजाम दिया, लेकिन एक गलती ने उसे पुलिस के शिकंजे में ला दिया।
10 दिनों तक पुलिस की हिरासत में था आरोपी, फिर भी नहीं हुई गिरफ्तारी
यह शायद देश का पहला ऐसा केस था, जिसमें आरोपी 10 दिनों तक पुलिस हिरासत में था, फिर भी उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
गुरुमूर्ति नामक इस आरोपी ने खुद हत्या की बात कबूली, लेकिन पुलिस के पास सबूतों की कमी थी। बिना ठोस सबूतों के पुलिस उसे गिरफ्तार करने से हिचक रही थी। मामला एक मर्डर केस होते हुए भी 10 दिनों तक गुमशुदगी के तौर पर दर्ज रहा, लेकिन 28 जनवरी को एक छोटे से मांस के टुकड़े ने पूरा मामला बदल दिया।
पूर्व फौजी निकला आरोपी, 17 साल सेना में था तैनात
गुरुमूर्ति, जो 2003 से 2020 तक भारतीय सेना में नायब सूबेदार था, सेना छोड़ने के बाद डीआरडीओ में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम कर रहा था।
उसकी पत्नी माधवी 16 जनवरी को अचानक गायब हो गई थी। जब 18 जनवरी तक कोई सुराग नहीं मिला, तो माधवी के माता-पिता ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
गुरुमूर्ति के चाचा ने खोला राज
जब पुलिस छानबीन कर रही थी, तभी गुरुमूर्ति के चाचा ने पुलिस को बताया कि आरोपी ने खुद उसे हत्या की बात कबूल की थी। इस बयान के बाद पुलिस ने गुरुमूर्ति को हिरासत में लिया, और उसने स्वीकार भी किया कि उसने माधवी की हत्या की है।
लाश के टुकड़े कर, पानी में उबाला, फिर हड्डियों को जलाया
गुरुमूर्ति ने पुलिस को बताया कि 16 जनवरी को पत्नी से झगड़े के दौरान उसने माधवी का सिर दीवार पर दे मारा, जिससे उसकी मौत हो गई।
इसके बाद, उसने शव को बाथरूम में ले जाकर टुकड़े-टुकड़े किया।
- मांस के टुकड़ों को बकेट में डालकर गर्म पानी में गलाया।
- हड्डियों को बर्नर पर जलाया और फिर ग्राइंडर में पीसकर नाली में बहा दिया।
- बचे हुए टुकड़ों को पॉलिथिन में डालकर 1 किलोमीटर दूर तालाब में फेंक दिया।
पुलिस ने लगातार 10 दिनों तक तालाब और आरोपी के घर की तलाशी ली, लेकिन कोई सबूत नहीं मिला।
मामले में बड़ा मोड़: 28 जनवरी को मिला मांस का टुकड़ा
10 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस को आखिरकार तालाब से एक इंसानी मांस का टुकड़ा मिला। फॉरेंसिक जांच में पुष्टि हुई कि वह टुकड़ा माधवी के शरीर का था।
जैसे ही यह वैज्ञानिक प्रमाण मिला, पुलिस ने गुमशुदगी के केस को मर्डर केस में बदल दिया और गुरुमूर्ति को आधिकारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया।
हत्या थी पूरी तरह योजनाबद्ध
गुरुमूर्ति ने पुलिस को जो सच बताया, वह और भी चौंकाने वाला था। हत्या गुस्से में नहीं, बल्कि पूरी योजना के तहत की गई थी।
- 15 जनवरी: गुरुमूर्ति ने अपने बच्चों को बहन के घर छोड़ दिया, ताकि वे वारदात के समय घर में न रहें।
- 16 जनवरी: झगड़े के दौरान माधवी की हत्या कर दी और पूरे 10 घंटे तक शव ठिकाने लगाने की प्रक्रिया में लगा रहा।
- रात 8 बजे: घर की सफाई करने के बाद अपने बच्चों को बहन के घर से वापस लाया और सामान्य व्यवहार करता रहा।
हैवानियत पर नहीं था कोई पछतावा
गुरुमूर्ति को अपने अपराध पर कोई पछतावा नहीं था। पुलिस जांच में सामने आया कि वह पूरी तरह ठंडे दिमाग से इस अपराध को अंजाम दे रहा था।
जिस छोटे से मांस के टुकड़े ने पुलिस को इस जघन्य अपराध का सुराग दिया, वह महज एक मामूली स्किन का टुकड़ा था, लेकिन यही सबूत उसे सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए काफी साबित हुआ।
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