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Jaunpur : दलित छात्रा को वार्डन की शिकायत करना पड़ा भारी, आरोप- कमरा बंद कर बेरहमी से पीटा, स्कूल से निकाला

Jaunpur : दलित छात्रा को वार्डन की शिकायत करना पड़ा भारी, आरोप- कमरा बंद कर बेरहमी से पीटा, स्कूल से निकाला

Jaunpur : उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय, ऊंचगांव में आठवीं कक्षा की एक दलित छात्रा को वार्डेन के खिलाफ शिकायत करना भारी पड़ गया। आरोप है कि वार्डेन ने छात्रा को एक बंद कमरे में बेरहमी से पीटा और फिर स्कूल से निकाल दिया, जिससे वह अपनी अर्धवार्षिक परीक्षा भी नहीं दे सकी।

भोजन चोरी का खुलासा करने पर वार्डेन की कार्रवाई

छात्रा किरन कुमारी के अनुसार, प्रभारी वार्डेन पूनम सिंह यादव और चौकीदार स्कूल से खाद्यान्न समेत अन्य सामान चोरी कर बाहर ले जा रहे थे। जब छात्रा ने इस घटना की शिकायत जिलाधिकारी से की, तो वार्डेन ने उसे धमकाया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।

बंद कमरे में पिटाई और स्कूल से निष्कासन

छात्रा ने बताया कि उसे एक कमरे में बंद कर बेरहमी से पीटा गया और धमकी दी गई कि अगर उसने किसी को कुछ बताया, तो अंजाम बुरा होगा। इसके बाद उसे जबरन स्कूल से निकाल दिया गया और अर्धवार्षिक परीक्षा देने से रोक दिया गया।

शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं

पीड़िता ने पहले जिलाधिकारी से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उसने शिक्षा महानिदेशक से न्याय की गुहार लगाई, जिससे शिक्षा विभाग में हलचल मच गई। जांच का जिम्मा खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) आनंद प्रकाश सिंह को सौंपा गया, लेकिन उन्होंने वार्डेन को बचाने के लिए फर्जी रिपोर्ट तैयार कर दी।

छात्रा से जबरन लिखवाया गया झूठा बयान

जब जांच के दौरान छात्रा को दोबारा स्कूल बुलाया गया, तो वार्डेन ने दबाव डालकर उससे यह लिखवा लिया कि वह अपनी मां की तबीयत खराब होने के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो सकी। वार्डेन ने इस दौरान छात्रा का वीडियो भी रिकॉर्ड किया, ताकि बाद में इसे सबूत के रूप में पेश किया जा सके।

खंड शिक्षा अधिकारी ने दी वार्डेन को क्लीन चिट

जांच के दौरान खंड शिक्षा अधिकारी ने केवल वार्डेन के बयान को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार की और लिखा कि छात्रा अपनी मां की तबीयत खराब होने के कारण परीक्षा नहीं दे सकी। इस आधार पर शिकायत को निस्तारित मान लिया गया।

मीडिया के खुलासे से सामने आई सच्चाई

जब मीडिया ने छात्रा की मां से बात की, तो उन्होंने बताया कि वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और पहले भी बीमार नहीं थीं। उन्होंने यह भी कहा कि वार्डेन ने उनकी बेटी को परीक्षा देने से रोका और स्कूल से बाहर निकाल दिया।

अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल

मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर खंड शिक्षा अधिकारी ने इसे "छोटी-मोटी" घटना बताया और यह भी स्वीकार किया कि पूरे स्टाफ का एक दिन का वेतन काटा गया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर गलती वार्डेन की थी, तो सजा पूरे स्टाफ को क्यों दी गई?

अन्य छात्राओं ने भी लगाए उत्पीड़न के आरोप

वार्डेन के खिलाफ अकेले किरन कुमारी ने ही शिकायत नहीं की थी। नौवीं कक्षा की अनन्या और नंदिनी तथा सातवीं की अंजली ने भी शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। लेकिन प्रशासन ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया।

छात्रा को धमकियां मिलने का दावा

शिक्षा महानिदेशक से शिकायत करने के बाद छात्रा को वार्षिक परीक्षा देने की अनुमति तो मिल गई, लेकिन अब उसे अंकपत्र न देने की धमकी दी जा रही है।

प्रशासन की चुप्पी, क्या होगा न्याय?

यह मामला शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है, जहां एक दलित छात्रा को न्याय दिलाने की बजाय उसे दबाने की कोशिश की जा रही है। सवाल यह है कि जब एक छात्रा के साथ अन्याय हुआ, तो निष्पक्ष जांच क्यों नहीं की गई? अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस मामले में कोई ठोस कदम उठाता है या इसे भी लीपापोती कर दबा दिया जाएगा।