1. Home
  2. महाकुंभ 2025

शर्म आनी चाहिए...मॉडल हर्षा रिछारिया ने आंसुओं के साथ छोड़ा महाकुंभ, इन्हें ठहराया जिम्मेदार

शर्म आनी चाहिए...मॉडल हर्षा रिछारिया ने आंसुओं के साथ छोड़ा महाकुंभ, इन्हें ठहराया जिम्मेदार

Mahakumbh 2025 : झांसी के मऊरानीपुर की मूल निवासी और यूट्यूबर हर्षा रिछारिया (Harsha Richhariya) ने कुंभनगरी में जारी विवाद के बीच कुंभ छोड़ने का फैसला किया। इंस्टाग्राम पर जारी अपने वीडियो में उन्होंने इस निर्णय के लिए स्वामी आनंद स्वरूप को जिम्मेदार ठहराया।

हर्षा ने मकर संक्रांति के अवसर पर निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि से गुरु दीक्षा लेने के बाद भगवा वस्त्र पहनकर गंगा स्नान किया था। इसके बाद से महाकुंभ में विवाद शुरू हो गया।

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद और शांभवी पीठ के आनंद स्वरूप ने हर्षा के इस कदम को सनातन धर्म की परंपराओं का अपमान बताते हुए कड़ी निंदा की। आनंद स्वरूप ने भगवा वस्त्र धारण कर स्नान करने को त्याग की परंपरा का भोग में तब्दील होना बताया।

अब हर्षा ने खुद महाकुंभ से वापस जाने को लेकर कहा, "मैं सनातन धर्म को समझना चाहती थी, लेकिन कुछ लोगों ने मुझ पर निशाना साधा और मुझे इस यात्रा को पूरा करने का अवसर नहीं दिया। मुझे पूरा विश्वास है कि यह पाप उन लोगों को जरूर लगेगा।" इस दौरान हर्षा भावुक हो गईं और उनकी आंखों में आंसू थे।

स्वामी आनंद स्वरूप जी पर हर्षा का आरोप

हर्षा रिछारिया ने शाकुंभरी पीठाधीश्वर और काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज पर निशाना साधते हुए कहा, "यह शर्मनाक है कि एक लड़की, जो धर्म से जुड़ने और सनातन संस्कृति को समझने के लिए आई थी, उसे महाकुंभ में रुकने का मौका तक नहीं दिया गया। महाकुंभ, जो एक जीवन में एक बार होता है, उसे मुझसे छीन लिया गया। पुण्य का तो पता नहीं, लेकिन स्वामी आनंद स्वरूप जी को इस पर पाप जरूर लगेगा।"

महाकुंभ में अब नहीं रुक सकेंगी हर्षा

हर्षा ने यह भी कहा कि उन पर किए गए हमलों से आहत होकर अब वह महाकुंभ में नहीं रुक पाएंगी। उन्होंने कहा, "जब मुझे धर्म को समझने का मौका नहीं मिला, तो अब मैं वापस उसी जगह जाऊंगी, जहां से आई थी। मेरी मंशा थी कि पूरे महाकुंभ में रहूं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।"

हर्षा ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल सनातन धर्म को जानना और उसे फैलाना था, लेकिन कुछ लोगों ने उन पर सवाल उठाकर उन्हें इस उद्देश्य से रोक दिया। महाकुंभ के दौरान भगवा वस्त्र पहने हर्षा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं, लेकिन उन्होंने बाद में यह स्पष्ट किया कि वह साध्वी नहीं हैं।

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने इस विवाद को गैरजरूरी बताया और स्पष्ट किया कि हर्षा ने साध्वी की दीक्षा नहीं ली है। उनका कहना है कि हर्षा ने अन्य अनुयायियों की तरह ही स्नान किया था।