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Satya Pal Malik Death : नहीं रहे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, 79 वर्ष की उम्र में निधन, लंबे समय से थे बीमार

Satyapal Malik

Satya Pal Malik Death : पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में उनका इलाज जारी था। 79 वर्षीय मलिक ने सुबह अंतिम सांस ली। उनके निजी सचिव के.एस. राणा ने यह जानकारी साझा की। सत्यपाल मलिक के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर भी उनके निधन की पुष्टि की गई।

नुच्छेद 370 हटाने के वक्त जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे

सत्यपाल मलिक को उस समय देशभर में सबसे ज्यादा सुर्खियां मिलीं, जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटाया। उस समय वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। इसके बाद जब जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदला गया, तो वे उपराज्यपाल बनाए गए थे।

किसान आंदोलन और भ्रष्टाचार पर खुलकर बोले

मलिक अपने स्पष्ट और बेबाक विचारों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने किसान आंदोलन, भ्रष्टाचार और अन्य कई राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार के खिलाफ भी अपने विचार रखे थे। उनकी इसी बेबाकी ने उन्हें राजनीतिक हलकों में एक अलग पहचान दी।

जेडीयू नेता ने कहा- “व्यक्तिगत क्षति”

जनता दल यूनाइटेड (JDU) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने सत्यपाल मलिक के निधन पर शोक जताते हुए कहा, "यह मेरे लिए निजी क्षति है। जब मेरठ संयुक्त जिला हुआ करता था, तभी से हम दोनों की राजनीतिक यात्रा शुरू हुई थी। लोकदल के दौर में हम साथ थे और वी.पी. सिंह की सरकार में दोनों सांसद भी बने। उनके जाने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक मजबूत आवाज खामोश हो गई है।"

राजनीतिक सफर: छात्र नेता से राज्यपाल तक

सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत में हुआ था। मेरठ यूनिवर्सिटी से विज्ञान और कानून की पढ़ाई करने के बाद वे छात्र राजनीति में सक्रिय हुए। वर्ष 1968-69 में वे छात्र संघ अध्यक्ष बने। 1974 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए।

इसके बाद 1980 से 1989 तक दो बार राज्यसभा सदस्य रहे। 1989 में जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा पहुंचे। हालांकि 1996 में सपा के टिकट पर चुनाव हार गए।

कई दलों से जुड़े रहे

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर कई दलों के साथ जुड़ा रहा। वे भारतीय क्रांति दल, जनता दल, कांग्रेस, लोकदल, समाजवादी पार्टी और अंत में भारतीय जनता पार्टी में शामिल रहे। वर्ष 2012 में वे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाए गए।

राज्यपाल के रूप में लंबा अनुभव

मलिक ने विभिन्न राज्यों में राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दीं:

  • बिहार (सितंबर 2017 – अगस्त 2018)

  • ओडिशा (अस्थायी प्रभार: मार्च – अगस्त 2018)

  • जम्मू-कश्मीर (अगस्त 2018 – अक्टूबर 2019)

  • गोवा (नवंबर 2019 – अगस्त 2020)

  • मेघालय (अगस्त 2020 – अक्टूबर 2022)

उनके निधन से भारतीय राजनीति ने एक अनुभवी और मुखर नेता को खो दिया है।