Pahalgam Terror Attack : पानी-पानी के लिए तरसेगा पाकिस्तान! एयर और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अब 'वॉटर स्ट्राइक', जानें भारत के एक्शन का होगा क्या असर

 
Sindhu ghati

Pahalgam terror Attcak : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा और निर्णायक एक्शन लिया है। प्रधानमंत्री आवास पर हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में पांच बड़े फैसले लिए गए, जिनका असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से लेकर वहां के आम लोगों तक महसूस होगा।

भारत सरकार के 5 बड़े फैसले, जो पाकिस्तान को पड़ेगा भारी:

1. सिंधु जल समझौते पर रोक

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ सिंधु जल समझौता अब खत्म कर दिया गया है। इसके चलते पाकिस्तान को अब चिनाब, झेलम और सिंधु नदी का पानी नहीं मिलेगा। पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत के लाखों किसान इन नदियों के जल पर निर्भर हैं। ऐसे में यह फैसला पाकिस्तान की खेती और अर्थव्यवस्था पर भारी असर डालेगा।

2. पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा नहीं मिलेगा

अब भारत पाकिस्तानी नागरिकों को किसी भी प्रकार का वीजा जारी नहीं करेगा। इसका सीधा असर उन पाकिस्तानी नागरिकों पर पड़ेगा जो इलाज के लिए भारत आते थे। भारत में मेडिकल टूरिज्म का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान से आने वाले मरीजों का रहा है। वीजा प्रतिबंध से ये मरीज मुश्किल में पड़ सकते हैं।

3. भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का अल्टीमेटम

SVSE वीजा के तहत भारत में रह रहे पाक नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने को कहा गया है। यह फैसला सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

4. भारत-पाक राजनयिकों की संख्या घटेगी

नई नीति के तहत दोनों देशों के दूतावासों में तैनात अधिकारियों की संख्या कम की जाएगी। यह डिप्लोमैटिक रिश्तों में कटौती की दिशा में एक और बड़ा कदम है।

5. अटारी-वाघा बॉर्डर बंद

भारत ने अटारी-वाघा सीमा को तुरंत प्रभाव से बंद करने का आदेश दे दिया है। इससे दोनों देशों के बीच पहले से सीमित आवागमन अब पूरी तरह से रुक जाएगा।

पाकिस्तान को लगेगा तगड़ा झटका

भारत के इन फैसलों से पाकिस्तान को कूटनीतिक, आर्थिक और सामाजिक तीनों स्तर पर तगड़ा नुकसान हो सकता है। खासकर सिंधु जल समझौते का रद्द होना और वीजा बंद होना आम पाकिस्तानियों के लिए भारी पड़ेगा।

क्या है सिंधु जल संधि?

सिंधु जल संधि वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक ऐतिहासिक जल-बंटवारा संधि है, जिसे विश्व बैंक की मध्यस्थता में तैयार किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य सिंधु नदी प्रणाली के जल संसाधनों के बंटवारे को लेकर भविष्य में किसी भी तरह के विवाद को रोकना था।

इस समझौते के तहत, सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों को दो समूहों में बांटा गया। ब्यास, रावी और सतलुज – ये पूर्वी नदियाँ भारत को मिलीं, जिनका उपयोग भारत को पूर्ण रूप से करने की अनुमति दी गई। वहीं, सिंधु, झेलम और चिनाब – ये पश्चिमी नदियाँ पाकिस्तान को दी गईं, लेकिन भारत को इनका सीमित उपयोग (जैसे सिंचाई, घरेलू जरूरतें और गैर-उपभोग वाले कार्यों के लिए) करने की इजाजत दी गई थी।
अब भारत ने इस संधि को समाप्त करने का संकेत दिया है, जिसे ‘वॉटर स्ट्राइक’ के तौर पर देखा जा रहा है।

भारत की 'वॉटर स्ट्राइक' से पाकिस्तान को कितना होगा नुकसान?

  • खेती पर भारी असर: पाकिस्तान की करीब 80% कृषि भूमि, जो लगभग 1.6 करोड़ हेक्टेयर में फैली है, सिंधु नदी प्रणाली के जल पर निर्भर है। यदि पानी की आपूर्ति बाधित होती है, तो खेती लगभग ठप हो सकती है।

  • सिंचाई पर निर्भरता: सिंधु नदी प्रणाली का 93% पानी सिर्फ सिंचाई के लिए इस्तेमाल होता है। जल का प्रवाह रुकने से खेती करना बेहद मुश्किल हो जाएगा।

  • जनसंख्या पर प्रभाव: सिंधु बेसिन में रहने वाली पाकिस्तान की लगभग 61% आबादी – यानी करीब 23.7 करोड़ लोग – प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस जल स्रोत पर निर्भर हैं।

  • शहरी जल संकट: कराची, लाहौर और मुल्तान जैसे प्रमुख शहरों की जल आपूर्ति सिंधु और उसकी सहायक नदियों से होती है। जल आपूर्ति बाधित होने से इन शहरों में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो सकता है।

  • ऊर्जा संकट: पाकिस्तान की दो प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएँ – तरबेला और मंगला डैम – सिंधु नदी पर आधारित हैं। जल आपूर्ति कम होने से बिजली उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा।

  • खाद्य और सामाजिक असुरक्षा: जल प्रवाह रुकने से खाद्य उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है, जिससे लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। साथ ही, जल संकट के कारण सामाजिक अशांति और तनाव फैलने की भी आशंका है।

  • औद्योगिक और दैनिक जीवन पर असर: बिजली और जल की किल्लत से औद्योगिक गतिविधियाँ ठप हो सकती हैं और शहरी जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है, जिससे व्यापक अंधकार और अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

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