1. Home
  2. राजनीति विशेष

केशव प्रसाद मौर्य का अखिलेश यादव पर तीखा वार, कहा- पहले चलवाईं गोलियां और अब...

Keshav

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने अखिलेश के कांवड़ पथ निर्माण को लेकर दिए गए हालिया बयान को “राजनीतिक दिखावा” और “नौटंकी” करार दिया।

मौर्य ने आरोप लगाया कि जब समाजवादी पार्टी सत्ता में थी, तब उसने हिंदू आस्था को लगातार आघात पहुंचाया और अब चुनाव नजदीक आते ही धार्मिक भावना की आड़ लेकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।

सोशल मीडिया पर किया निशाना

केशव मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा: “रामभक्तों पर गोलियां, शिवभक्तों पर लाठियां, कांवड़ियों को भजन-कीर्तन से रोका, नवरात्र और दीपावली में अंधेरा, मेडिकल कॉलेज से बाबा साहब अंबेडकर का नाम हटाया, कब्रिस्तानों की बाउंड्री बनाई लेकिन हिंदुओं के श्मशान स्थल नहीं बनवाए।”

उन्होंने सवाल उठाया कि अब अखिलेश यादव कांवड़ पथ बनाने की बात कर रहे हैं, जबकि सत्ता में रहते हुए उन्होंने कभी कांवड़ियों के हित की बात नहीं की।

PDA फॉर्मूला पर भी साधा निशाना

केशव मौर्य ने अखिलेश यादव के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले को भी “फर्जी और दिखावटी” बताया। उन्होंने कहा कि, "फर्जी PDA के स्वयंभू चेयरमैन अखिलेश यादव की नौटंकी अब नहीं चलेगी। 2047 तक सपा-INDI गठबंधन के लिए सत्ता का दरवाजा बंद हो चुका है।"

अखिलेश का बयान और भाजपा की प्रतिक्रिया

गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने 7 जुलाई को बयान दिया था कि अगर समाजवादी पार्टी सत्ता में आती है, तो कांवड़ियों के लिए विशेष कॉरिडोर का निर्माण कराया जाएगा। इसे राजनीतिक हलकों में हिंदू वोटबैंक को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि, भाजपा इस बयान को लेकर हमलावर हो गई है। मौर्य ने पलटवार करते हुए कहा कि "जब राम मंदिर निर्माण का विरोध किया, जब मथुरा-वृंदावन परियोजनाओं का विरोध किया, तब आस्था कहां थी?"

"जनता अब सच्चाई जान चुकी है"

उपमुख्यमंत्री मौर्य ने दावा किया कि सपा की तुष्टिकरण की राजनीति का चेहरा जनता के सामने उजागर हो चुका है। उन्होंने कहा कि “सत्ता से बाहर होने के बाद अखिलेश यादव को धर्म की याद आ रही है, लेकिन अब लोग उनके दिखावे को समझते हैं। 2027 के चुनाव में जनता उन्हें करारा जवाब देगी।”

इस बयानबाजी से साफ है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में धार्मिक मुद्दे और आस्था से जुड़ी राजनीति एक बार फिर गरमा गई है, और आने वाले दिनों में यह बहस और तेज हो सकती है।

 

Ask ChatGPT