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क्या बिकने जा रहा है Google Chrome? जानें कौन हैं अरविंद श्रीनिवास, जिन्होंने दिया 34.5 बिलियन डॉलर का ऑफर

Google Chrome

Google Chrome : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप Perplexity AI ने टेक जगत में हलचल मचा दी है। कंपनी के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने गूगल क्रोम को खरीदने के लिए 34.5 बिलियन डॉलर का ऑल-कैश प्रस्ताव दिया है, जबकि क्रोम को गूगल ने कभी आधिकारिक तौर पर बिक्री के लिए पेश ही नहीं किया। यह राशि Perplexity की मौजूदा वैल्यूएशन (14 बिलियन डॉलर) से ढाई गुना से भी अधिक है। कंपनी का उद्देश्य है—AI सर्च की दौड़ में अपनी पकड़ मजबूत करना और क्रोम के लगभग 3 अरब उपयोगकर्ताओं तक सीधा पहुंच बनाना।

कौन हैं अरविंद श्रीनिवास?

भारतीय मूल के अरविंद श्रीनिवास Perplexity AI के सह-संस्थापक और सीईओ हैं। उन्होंने 2017 में आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डुअल डिग्री पूरी की और उसके बाद कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की। 2022 में, उन्होंने एंडी कोन्विंस्की, डेनिस यारात्स और जॉनी हो के साथ मिलकर Perplexity AI की नींव रखी। अब तक कंपनी Nvidia और SoftBank जैसे बड़े निवेशकों से लगभग 1 अरब डॉलर जुटा चुकी है। श्रीनिवास ने अपने करियर की शुरुआत 2018 में OpenAI में रिसर्च इंटर्न के रूप में की। इसके बाद वे Google और DeepMind में काम कर चुके हैं और Perplexity शुरू करने से पहले दोबारा OpenAI में रिसर्च साइंटिस्ट भी रहे।

गूगल पर कानूनी दबाव


यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब गूगल अमेरिका में एंट्रीट्रस्ट मुकदमों का सामना कर रहा है। हाल ही में एक अमेरिकी अदालत ने गूगल को ऑनलाइन सर्च पर अनुचित एकाधिकार रखने का दोषी ठहराया। अमेरिकी न्याय विभाग ने सुझाव दिया कि क्रोम की बिक्री प्रतिस्पर्धा को बहाल कर सकती है। हालांकि, गूगल इस फैसले को चुनौती देने और अपील करने की तैयारी में है और फिलहाल क्रोम बेचने के कोई संकेत नहीं हैं।

डील की संभावनाएं और शर्तें

Perplexity का दावा है कि कई बड़े निवेश फंड इस सौदे को फंड करने को तैयार हैं, हालांकि पूरी जानकारी साझा नहीं की गई। प्रस्ताव के अनुसार—

  • क्रोमियम कोड ओपन-सोर्स बना रहेगा।

  • कंपनी दो साल में 3 अरब डॉलर का निवेश करेगी।

  • डिफॉल्ट सर्च इंजन में कोई बदलाव नहीं होगा।

अन्य कंपनियों की दिलचस्पी

कोर्ट के दस्तावेज़ बताते हैं कि OpenAI और Yahoo ने भी क्रोम को खरीदने में रुचि दिखाई थी। 2023 में OpenAI ने ChatGPT के लिए गूगल से सर्च API एक्सेस मांगा था, जिसे गूगल ने प्रतिस्पर्धा के चलते ठुकरा दिया। वर्तमान में OpenAI अपने चैटबॉट की सर्च क्षमता के लिए Microsoft Bing पर निर्भर है।

भविष्य पर अनिश्चितता, लेकिन दांव बड़ा

विशेषज्ञों का मानना है कि गूगल क्रोम छोड़ना नहीं चाहेगा, क्योंकि यह सिर्फ ब्राउज़र ही नहीं बल्कि उसकी AI रणनीति का अहम हिस्सा है। क्रोम से मिलने वाला डेटा गूगल के AI मॉडल को मजबूत करता है और AI-जनरेटेड सर्च ओवरव्यू जैसे फीचर्स को सपोर्ट करता है। फिर भी, अगर अमेरिकी न्याय विभाग गूगल के सर्च इंफ्रास्ट्रक्चर पर एकाधिकार को तोड़ने में सफल होता है, तो क्रोम का भविष्य टेक इंडस्ट्री में सबसे बड़ा गेम-चेंजर बन सकता है।