Sawan 2025 : भारत का एकमात्र शिव मंदिर, यहां बिना नंदी के विराजमान हैं देवाधिदेव महादेव

Sawan 2025 : भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आरंभ हो चुका है। चारों ओर भोलेनाथ के जयघोष से वातावरण शिवमय हो गया है। शिव की महिमा असीम और अनंत है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जहां भी भगवान शिव विराजते हैं, वहां उनके प्रिय वाहन और परम भक्त नंदी की उपस्थिति भी होती है। आमतौर पर शिवलिंग के सामने विराजमान नंदी की मूर्ति मंदिरों का अभिन्न हिस्सा होती है। कहा जाता है कि शिव मंदिरों में नंदी की पूजा किए बिना शिवजी की आराधना अधूरी मानी जाती है। यही वजह है कि लगभग हर शिव मंदिर में शिवलिंग के ठीक सामने नंदी की प्रतिमा स्थापित होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा भी शिव मंदिर है, जहां नंदी की प्रतिमा नहीं है?आइए जानें कौन सा है वो मंदिर, जहां शिव तो हैं लेकिन उनके साथ नंदी नहीं है।
कहां है ये अनोखा मंदिर?
यह विशेष मंदिर महाराष्ट्र के नासिक शहर में स्थित है, जो अपने धार्मिक महत्व और कुंभ मेले के लिए प्रसिद्ध है। यहां गोदावरी नदी के किनारे स्थित है कपालेश्वर महादेव मंदिर (Kapaleeshwarar Temple Nashik), जो इस खास वजह से चर्चा में रहता है कि यहां नंदी की प्रतिमा नहीं है।
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क्या है इस परंपरा के पीछे की मान्यता?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह मंदिर वह स्थान है जहां कभी स्वयं भगवान शिव ने निवास किया था। ऐसा कहा जाता है कि यहां की दिव्यता इतनी अधिक थी कि नंदी की स्थापना की आवश्यकता ही नहीं रही। यह मंदिर अपने आप में शिवभक्ति और रहस्यों से भरा हुआ है।
शिव मंदिरों में नंदी की भूमिका
नंदी को शिव का वाहन ही नहीं, बल्कि उनके परम भक्त और द्वारपाल के रूप में भी पूजा जाता है। सभी प्रमुख शिव मंदिरों में नंदी की मूर्ति शिवलिंग के ठीक सामने स्थापित होती है, और श्रद्धालु नंदी के कान में अपनी मनोकामना भी कहते हैं, जिसे शिव तक पहुंचाने की मान्यता है।
कपालेश्वर में क्यों नहीं है नंदी?
ऐसी भी मान्यता है कि कपालेश्वर मंदिर की संरचना और शिव की विशेष उपस्थिति के कारण यहां नंदी को अलग रूप में पूजा जाता है या उनकी मूर्ति की स्थापना नहीं की गई। हालांकि यह परंपरा इसे देश के बाकी शिव मंदिरों से अलग बनाती है।