Aligarh triple Murder Case : बेटी की गवाही पर पिता को उम्रकैद की सजा, 11 साल पहले पत्नी, मासूम बेटे और किरायेदार को मारी थी गोली

Aligarh triple Murder Case : उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 11 साल पुराने एक जघन्य हत्याकांड में रिटायर्ड फौजी मनोज कुमार को फांसी की सजा सुनाई गई है। इस फैसले को अलीगढ़ कोर्ट ने सुनाया। रिटायर्ड फौजी ने अपनी पत्नी, बेटे और किरायेदार महिला की गोली मारकर हत्या की थी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) द्वितीय ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए दोषी को मृत्युदंड और एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया।
11 साल पुराना मामला
यह मामला 12 जुलाई 2014 का है। अलीगढ़ के बन्नादेवी थाना क्षेत्र के नगला कलार में सेना से रिटायर्ड मनोज कुमार ने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर और राइफल का इस्तेमाल करते हुए तीन लोगों की जान ले ली थी। घटना के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की और आरोप पत्र दाखिल किया।
बेटी की गवाही बनी आधार
घटना के वक्त मनोज की 13 वर्षीय बेटी अश्मिता ने अपनी आंखों से यह खौफनाक मंजर देखा। कोर्ट में अश्मिता ने गवाही दी कि घटना वाले दिन दोपहर करीब ढाई बजे केवल विहार कॉलोनी में रहने वाले मनोज, जो सेना से सेवानिवृत्त थे, ने अपनी पत्नी सीमा, सात वर्षीय बेटे मानवेंद्र और पड़ोसन शशिबाला को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। घटना के दौरान मनोज की 14 वर्षीय बेटी उस्मिता ने अपनी जान बचाने के लिए भागने की कोशिश की, लेकिन पिता ने उसे भी गोली मार दी। गंभीर रूप से घायल उस्मिता ने पुलिस और अदालत में जो बयान दिया, उससे पूरे मामले की सच्चाई सामने आई।
उस्मिता ने बताया कि पिता आए दिन शराब के नशे में परिवार के साथ मारपीट करते थे। घटना के दिन भी मां-पापा के बीच झगड़ा हो रहा था। गुस्से में पिता ने अलमारी से अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर और राइफल निकाली और मां को गोली मार दी। मां की चीखें सुनकर पड़ोसन शशिबाला मदद के लिए आईं, लेकिन उन्हें भी गोली मार दी।
सबसे दर्दनाक मंजर तब हुआ, जब मासूम बेटा मानवेंद्र पिता के पैरों में लिपट गया और जान की भीख मांगी। लेकिन पिता ने मासूम की मिन्नतें अनसुनी करते हुए उसे भी गोली मार दी।
उसके पिता ने मां के सीने में गोली मारी थी। उसकी यह गवाही इस मामले में अहम सबूत बनी, जिससे दोषी को सजा दिलाने में मदद मिली।
सजा के बाद पुलिस की निगरानी में दोषी हिरासत में
अदालत के फैसले के बाद दोषी मनोज कुमार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इसे अत्यंत जघन्य अपराध मानते हुए दोषी को मृत्युदंड का हकदार ठहराया।
रिटायर्ड फौजी की पृष्ठभूमि
मनोज कुमार, जो मूल रूप से बुलंदशहर का निवासी है, सेना से रिटायर होने के बाद अलीगढ़ में होमगार्ड की नौकरी कर रहा था। परिवार के साथ नगला कलार में रह रहे मनोज ने गुस्से और नाराजगी में जो अपराध किया, उसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया था।
फैसला न्याय की दिशा में मील का पत्थर
इस मामले में कोर्ट का फैसला पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ है। न्यायालय ने यह संदेश दिया कि कानून के आगे कोई भी अपराधी बच नहीं सकता।
मानसिक अवसाद और आत्महत्या की कोशिश से शुरू हुआ नरसंहार
पुलिस पूछताछ में मनोज ने बताया कि वह मानसिक अवसाद से ग्रस्त था और उसे हमेशा यह डर रहता था कि उसके परिवार को नुकसान होगा। उसकी पत्नी सीमा ने उसे इलाज कराने की सलाह दी थी, लेकिन इस बात को लेकर दोनों के बीच अक्सर विवाद होता था। घटना वाले दिन मनोज आत्महत्या करने के लिए बाथरूम में बंद हो गया था। जब पत्नी ने उसे रोकने की कोशिश की, तो गुस्से में उसने हत्या का यह खौफनाक कदम उठा लिया।
वारदात के बाद की स्थिति
घटना के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों को घर के अंदर तीन शव और 15 खोखे मिले। राइफल और रिवॉल्वर को कब्जे में लेकर मनोज को गिरफ्तार कर लिया गया। पड़ोसियों ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले किया।
उस्मिता: जिंदगी के संघर्ष की मिसाल
इस दर्दनाक घटना के बाद उस्मिता ने ननिहाल में रहकर अपना जीवन पुनः शुरू किया। उसने एमबीए की पढ़ाई पूरी की और बीएड में दाखिला लिया। आज 23 वर्ष की हो चुकी उस्मिता अपने पिता से इतनी नफरत करती है कि उसने कभी उनसे मिलने की इच्छा तक जाहिर नहीं की।
उस्मिता के मामा दिलीप सिंह ने उसे अपनी बेटी की तरह पाला। उन्होंने बताया कि परिवार ने इस केस में समझौते के सभी प्रस्ताव ठुकरा दिए और न्याय के लिए लड़ते रहे।
अदालत का फैसला और परिजनों की प्रतिक्रिया
अदालत ने इस मामले में मनोज को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। उस्मिता के मामा दिलीप सिंह ने इस फैसले पर खुशी जताई और कहा कि भले ही वे अपनी बहन और भांजे को वापस नहीं ला सकते, लेकिन न्याय मिलने से दिल को सुकून मिला है।
.webp)
