Auraiya : 3 बच्चों की हत्या करने वाली मां को फांसी की सजा, प्रेमी को उम्रकैद, बोला कोर्ट- ऐसी मां को...

औरैया। मानवता को शर्मसार कर देने वाले एक सनसनीखेज मामले में जिला अदालत ने तीन मासूम बेटों की हत्या करने वाली महिला प्रियंका को फांसी की सजा सुनाई है। वहीं, उसके प्रेमी और रिश्ते में देवर रहे आशीष को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। दोनों पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने इस घटना को "रेयर ऑफ द रेयरेस्ट" श्रेणी का अपराध मानते हुए कहा कि जो मां अपने ही बच्चों की जान ले सकती है, उसे समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
कोर्ट की टिप्पणी
अपर सत्र न्यायाधीश (एडीजे) सैफ अहमद ने अपने फैसले में लिखा कि प्रियंका ने एक-एक करके चार बच्चों को नदी में डुबोने की कोशिश की। तीन की मौत हो गई, लेकिन उसे न कोई पश्चाताप था, न कोई ममत्व। उन्होंने लिखा, "यह घटना रिश्तों की नींव को हिला देती है। इससे समाज में भय और अविश्वास का माहौल बनता है। अब कोई भी यह विश्वास नहीं कर सकता कि एक बच्चा अपनी मां के साथ पूरी तरह सुरक्षित है।"
कैसे हुआ था जघन्य अपराध?
यह घटना 27 जून 2024 की सुबह की है। प्रियंका अपने चार बेटों- सोनू, आदित्य, माधव और मंगल को लेकर औरैया की सेंगुर नदी के केशमपुर घाट पहुंची थी। प्रेमी आशीष के दबाव और घरेलू कलह से तंग आकर उसने एक-एक करके बच्चों को नदी में धकेल दिया। लेकिन उस समय वहां मौजूद ग्रामीणों ने बड़े बेटे सोनू को बचा लिया। दो बच्चों की लाश तुरंत मिली, जबकि सबसे छोटे बेटे का शव गोताखोरों की मदद से खोजा गया।
चश्मदीद बना बेटा
घटना के चश्मदीद और जीवित बचे बेटे सोनू ने अदालत में गवाही दी कि उनकी मां उन्हें नदी किनारे ले गई और फिर उनके भाइयों को कुछ खिलाकर नदी में फेंक दिया। ग्रामीणों ने उसे डूबने से बचा लिया। उसकी इस गवाही को अदालत ने निर्णायक माना और उसे सबसे अहम साक्ष्य बताया।
रिश्ते में देवर बना प्रेमी, बना आरोपी
प्रियंका की शादी इटावा के लुईया गांव निवासी अवनीश से हुई थी, जिनकी चार साल पहले करंट लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद वह अपने चचेरे देवर आशीष के साथ रहने लगी। गांव में बदनामी के चलते वह मायके बरौआ लौट आई, जहां आशीष भी आकर रहने लगा। फिर दोनों औरैया शहर में किराए पर रहने लगे।
जल्द ही बच्चों की परवरिश और आर्थिक तंगी को लेकर दोनों में झगड़े शुरू हो गए। आशीष अक्सर प्रियंका से कहता, "अपने बच्चों को खत्म कर दो, तभी मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।"
कोर्ट में रही चुप, न पछतावा न आंसू
जब प्रियंका को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई, तो वह चुपचाप खड़ी रही। उसके चेहरे पर न कोई डर था, न पछतावा। अपनी सफाई में उसने सिर्फ इतना कहा कि पति की मौत के बाद ससुराल वालों ने मुआवजा और भैंस छीन ली, जिससे बच्चों का पालन मुश्किल हो गया था। आशीष ने भी खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसे फंसाया गया है।
25 सुनवाइयों के बाद आया फैसला
सरकारी वकील अभिषेक मिश्रा ने बताया कि कोर्ट में कुल 7 गवाहों की गवाही हुई। 25 सुनवाइयों के बाद यह ऐतिहासिक फैसला आया। गवाहों में प्रियंका का बेटा सोनू और बच्चों के चाचा मनीष भी शामिल थे, जिन्होंने मुकदमा दर्ज कराया था।