गैंगस्टर की 35 साल की होमगार्ड नौकरी का पर्दाफाश, पुलिस विभाग पर उठे सवाल

आजमगढ़: उत्तर प्रदेश पुलिस में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक कुख्यात गैंगस्टर नकदू यादव ने अपनी पहचान बदलकर 35 साल तक होमगार्ड की नौकरी की। नकदू यादव, जो हत्या, डकैती और गैंगस्टर एक्ट के तहत कई मामलों में वांछित था, ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 1990 में होमगार्ड के पद पर नौकरी हासिल की और रानी की सराय व मेंहनगर थाने में ड्यूटी करता रहा।
मामले का खुलासा तब हुआ जब नकदू के भतीजे नंदलाल ने डीआईजी वैभव कृष्ण को उसके खिलाफ शिकायत दी। जांच में सामने आया कि नकदू ने कक्षा आठ का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी पाई थी। इसके साथ ही उसने अपनी पहचान बदलकर नकदू यादव से नंदलाल यादव कर ली।
नकदू पर 1984 में हत्या और साक्ष्य छुपाने का मामला दर्ज हुआ था। 1987 में उस पर डकैती का केस दर्ज किया गया, और 1988 में उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। इन गंभीर अपराधों के बावजूद, नकदू ने पुलिस विभाग में 35 साल तक काम किया।
फर्जी चरित्र प्रमाण पत्र पर नौकरी
जांच में यह भी सामने आया कि नकदू ने नौकरी के लिए कूट रचित दस्तावेज तैयार किए और 1992 में पुलिस विभाग के अधिकारियों से फर्जी चरित्र प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करवाए। यह बात चौंकाने वाली है कि एक हिस्ट्रीशीटर, जिसकी हिस्ट्रीशीट भी खोली जा चुकी थी, पुलिस की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब रहा।
विभागीय जांच शुरू
आजमगढ़ एसपी हेमराज मीणा ने कहा कि नकदू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। विभाग यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि इतने सालों तक नकदू पुलिस की पकड़ से बाहर कैसे रहा।
प्रशासन पर उठे सवाल
इस मामले ने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और चरित्र सत्यापन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नकदू जैसे अपराधी का 35 साल तक पुलिस विभाग में काम करना न केवल विभाग की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे फर्जी दस्तावेजों के सहारे अपराधी कानून को धता बता सकते हैं।
फिलहाल, नकदू को निलंबित कर दिया गया है और उसके खिलाफ रानी की सराय थाने में मामला दर्ज किया गया है। इस घटना ने पुलिस विभाग में सुधार की जरूरत को फिर से उजागर किया है।
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