1. Home
  2. यूपी

उत्तर प्रदेश के मदरसों में कामिल और फाजिल की कक्षाएं बंद: 37,000 छात्रों के भविष्य पर संकट

उत्तर प्रदेश के मदरसों में कामिल और फाजिल की कक्षाएं बंद: 37,000 छात्रों के भविष्य पर संकट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने प्रदेश के मदरसों में संचालित कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) की कक्षाओं को बंद करने का आदेश जारी किया है। इस निर्णय से करीब 37,000 छात्र-छात्राओं के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं।

कोर्ट के फैसले के बाद लिया गया निर्णय

कामिल और फाजिल की डिग्रियों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से मान्यता प्राप्त नहीं थी। इसको आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन डिग्रियों को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट के इस फैसले के बाद शासन के निर्देश पर मदरसा शिक्षा परिषद ने इन पाठ्यक्रमों में नए प्रवेश पर पहले ही रोक लगा दी थी।

हालांकि, पहले से इन पाठ्यक्रमों में पढ़ रहे छात्रों के भविष्य को लेकर अब तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया था। अब परिषद ने औपचारिक रूप से इन कक्षाओं को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

37000 छात्रों के भविष्य पर संकट

प्रदेश के लगभग 16,460 मान्यता प्राप्त और अनुदानित मदरसों में कामिल और फाजिल के कुल 37,000 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। इसमें से कामिल के प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष में करीब 28,000 छात्र, जबकि फाजिल के प्रथम और द्वितीय वर्ष में लगभग 9,000 छात्र पंजीकृत हैं।

इन छात्रों के सामने अब सवाल खड़ा हो गया है कि उनकी डिग्री का भविष्य क्या होगा और आगे की पढ़ाई कैसे पूरी होगी।

क्या कहते हैं मदरसा शिक्षा परिषद के अधिकारी?

मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार आर. पी. सिंह ने इस संदर्भ में सभी जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेजा है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा डिग्री को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद इन पाठ्यक्रमों का पठन-पाठन और अध्यापन जारी रखना संभव नहीं है।

उन्होंने बताया कि कामिल और फाजिल के वर्तमान छात्रों का मामला अब हाईकोर्ट में लंबित है। कोर्ट के निर्णय के बाद ही आगे की प्रक्रिया तय की जाएगी।

छात्रों और अभिभावकों में आक्रोश

इस निर्णय से छात्रों और उनके अभिभावकों में गहरी निराशा और आक्रोश है। कई छात्रों ने कहा कि उन्होंने वर्षों की मेहनत और समय इन डिग्रियों को हासिल करने में लगाया, लेकिन अब उनके सामने करियर को लेकर गंभीर चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।

छात्रों का कहना है कि यदि सरकार ने पहले से ही डिग्री के असंवैधानिक होने की संभावना देखी थी तो नए प्रवेश पर रोक पहले ही लगानी चाहिए थी, जिससे हजारों छात्रों का भविष्य अधर में न लटकता।

सरकार से उम्मीदें

अब सभी की निगाहें सरकार और न्यायपालिका के अगले कदम पर टिकी हैं। छात्र और अभिभावक सरकार से मांग कर रहे हैं कि पहले से पढ़ रहे छात्रों के हितों की रक्षा के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, ताकि उनकी पढ़ाई और करियर प्रभावित

उत्तर प्रदेश के मदरसों में कामिल और फाजिल की कक्षाओं के बंद होने का यह निर्णय हजारों छात्रों के लिए एक बड़ा झटका है। सरकार और न्यायपालिका से जल्द ही इस मुद्दे पर स्पष्टता और समाधान की उम्मीद की जा रही है, ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।