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Hair Transplant : 50 हजार का पैकेज, पांच घंटे सर्जरी... दो इंजीनियरों की मौत, दांतों की डॉक्टर ने कर दी हेयर ट्रांसफ्लांट सर्जरी

Kanpur

Hair Transplant : कानपुर के केशवपुरम इलाके में एक निजी क्लीनिक में हेयर ट्रांसप्लांट कराने के बाद दो युवकों की जान चली गई। इस क्लीनिक को डॉक्टर अनुष्का तिवारी चला रही थीं, जिन्होंने घने बालों का दावा कर 40 हजार रुपये में ट्रांसप्लांट किया था। मृत इंजीनियरों के परिजनों से पूछताछ में रावतपुर पुलिस को यह जानकारी मिली है। अब पुलिस इस क्लीनिक से जुड़े अन्य पहलुओं की गहराई से जांच कर रही है।

दो इंजीनियरों की मौत के बाद दर्ज हुई FIR

पावर हाउस पनकी में तैनात इंजीनियर विनीत दुबे और फर्रुखाबाद के मयंक कटियार की हेयर ट्रांसप्लांट के कुछ ही समय बाद मौत हो गई। विनीत की पत्नी जया दुबे ने रावतपुर थाने में आरोपी डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। उनके अनुसार लाखों की प्रक्रिया बेहद सस्ते पैकेज में कर दी गई थी और इलाज से पहले ही नकद पैसे ले लिए गए थे।

सिर्फ BDS की डिग्री

प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि आरोपी महिला डॉक्टर के पास केवल BDS (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) की डिग्री है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार इस डिग्री के आधार पर बाल प्रतिरोपण (हेयर ट्रांसप्लांट) करने की अनुमति नहीं होती। डीसीपी पश्चिम दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि डॉक्टर फरीदाबाद के एक कॉलेज से पढ़ी हैं, लेकिन नियमों के अनुसार वह ऐसी सर्जरी करने की हकदार नहीं थीं। पुलिस ने उनके घर पर दबिश दी, लेकिन घर पर ताला मिला है और कई टीमें उनकी गिरफ्तारी के लिए तैनात कर दी गई हैं।

अन्य पीड़ित भी सामने आए

अब तक कन्नौज और उन्नाव से दो और पीड़ित युवक सामने आए हैं। कन्नौज निवासी जीत कुमार कटियार ने बताया कि वह अक्टूबर 2024 में मृतक मयंक के साथ क्लीनिक में गया था। कुछ दिन इलाज के बाद उसके माथे पर संक्रमण हुआ और सूजन आने लगी। जब शिकायत की गई, तो क्लीनिक स्टाफ ने इसे सामान्य बताते हुए नजरअंदाज कर दिया। मगर संक्रमण ने उसके चेहरे पर गहरा असर डाला।

उन्नाव के अचलगंज निवासी राजेंद्र पाठक ने बताया कि उन्होंने एक विज्ञापन के जरिए क्लीनिक के बारे में जाना और अगस्त 2024 में अपने दोस्त विक्रम को लेकर वहां गए। विक्रम का इलाज शुरू हुआ, लेकिन 15 दिन बाद उसके सिर में संक्रमण शुरू हो गया, जो धीरे-धीरे पूरे चेहरे में फैल गया। विक्रम अब तक बिस्तर पर पड़ा है।

क्या है अगला कदम?

पुलिस फिलहाल क्लीनिक के दस्तावेज, डॉक्टर की डिग्री और अन्य पीड़ितों की तलाश में जुटी है। मामले में स्वास्थ्य विभाग की भूमिका भी संदेह के घेरे में है कि बिना अनुमति ऐसा क्लीनिक कैसे चल रहा था।