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यूपी : प्रदेश के 36 निजी मेडिकल कॉलेजों पर कसा शिंकजा, इन सात मानकों पर परखी जा रही हैं व्यवस्थाएं

यूपी : प्रदेश के 36 निजी मेडिकल कॉलेजों पर कसा शिंकजा, इन सात मानकों पर परखी जा रही हैं व्यवस्थाएं

उत्तर प्रदेश के 36 निजी मेडिकल कॉलेजों में व्यवस्थाओं की जांच तेज कर दी गई है। चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह ने कॉलेजों के निरीक्षण के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों के तीन संकाय सदस्यों की कमेटी बनाई है, जो औचक स्थलीय निरीक्षण कर रही है। यह जांच सात महत्वपूर्ण मानकों पर आधारित है, जिनमें कॉलेजों की आधारभूत संरचना, संकाय सदस्यों की उपस्थिति, फीस का ब्योरा, और विद्यार्थियों से संबंधित अन्य बिंदुओं की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

प्रदेश में 36 निजी मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें 6,600 एमबीबीएस सीटें हैं। इनमें से तीन कॉलेज पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप और चार अल्पसंख्यक कोटे के हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 5250 सीटें हैं। अब निजी कॉलेजों की व्यवस्थाओं की सख्ती से पड़ताल शुरू की गई है। पिछले दो दिनों में करीब 15 कॉलेजों की औचक जांच की गई है।

चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक ने कमेटियों को निर्देश दिए हैं कि वे कॉलेजों के निरीक्षण में नेशनल मेडिकल कमीशन के मानकों का पालन करें। कमेटियों को रिपोर्ट दो दिन में देने का निर्देश भी दिया गया है। इन कमेटियों ने दो दिन में करीब 15 कॉलेजों की जांच की है।

जांच के बिंदु:

  1. मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध आधारभूत संरचना।
  2. कार्यरत चिकित्सा संकायों की तीन माह की उपस्थिति।
  3. कार्यरत चिकित्सा संकायों की छह माह की सैलरी स्लिप।
  4. ओपीडी, आईपीडी, ओटी सहित अन्य क्लीनिकल मैटेरियल की अलग-अलग रिपोर्ट।
  5. अध्ययनरत विद्यार्थियों से लिए जा रहे शिक्षण शुल्क का ब्योरा।
  6. विद्यार्थियों से वार्ता कर गुणवत्ता संबंधित फीडबैक।
  7. मौके पर अन्य जरूरी बिंदुओं की जांच।

निजी कॉलेजों का विरोध:

हालांकि, निजी कॉलेज संचालक इस औचक निरीक्षण को उत्पीड़न मान रहे हैं। कई कॉलेज संचालकों ने बताया कि आधारभूत सुविधाओं सहित अन्य बिंदुओं की जांच के बाद ही उन्हें मान्यता मिली थी और सत्र भी शुरू हो चुका है। उनका कहना है कि ऐसे में डीजीएमई की टीम को जांच का अधिकार नहीं है। कुछ संचालकों ने आरोप लगाया है कि उनकी फीस निर्धारण को लेकर हाईकोर्ट में मुकदमा चल रहा है, जिसके कारण उनकी जांच की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले सरकारी कॉलेजों की व्यवस्थाओं को सुधारने पर ध्यान दिया जाए और फिर निजी कॉलेजों को नजीर के रूप में पेश किया जाए।

जांच से बाहर के बिंदु:

हालांकि, नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने सभी कॉलेजों को वार्षिक घोषणा पत्र जारी करने, वेबसाइट पर संकाय सदस्यों का ब्योरा देने और बायोमीट्रिक हाजिरी के निर्देश दिए हैं, लेकिन इन बिंदुओं पर जांच कमेटी ध्यान नहीं दे रही है।