यूपी में बिजली निजीकरण पर बवाल: आठ मुख्य अभियंता वीआरएस लेने की तैयारी, 1 जनवरी को मनाया जाएगा काला दिवस

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों और अभियंताओं का प्रदर्शन तीव्र होता जा रहा है। प्रदेश के आठ मुख्य अभियंता स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने की तैयारी में हैं। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन का कहना है कि अभियंताओं के निलंबन और प्रबंधन की नीतियों के चलते यह कदम उठाया जा रहा है।
मुख्य अभियंता वीआरएस लेने को मजबूर
रविवार को लखनऊ के फील्ड हॉस्टल में हुई बैठक में एसोसिएशन ने अभियंताओं के साथ हो रही कार्रवाई पर नाराजगी जताई। संगठन के अध्यक्ष के.बी. राम और महासचिव अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर मुख्य अभियंता वीआरएस की लाइन में हैं। अभियंताओं का कहना है कि निजीकरण के चलते कार्य वातावरण बिगड़ गया है, जिससे वे नौकरी छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
1 जनवरी को काला दिवस का ऐलान
निजीकरण के विरोध में अभियंता और कर्मचारी 1 जनवरी को काला दिवस मनाएंगे। इस दिन सभी कर्मचारी काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। रविवार को झांसी में आयोजित बिजली पंचायत में अभियंताओं और संविदा कर्मियों ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया।
निजीकरण के विरोध में एकजुट कर्मचारी
बिजली पंचायत में झांसी, उरई, महोबा और ललितपुर के कर्मियों ने भाग लिया। वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बिजली विभाग ने लाइन हानियों को 41 प्रतिशत से घटाकर 17 प्रतिशत तक पहुंचाया है। इसके बावजूद निजीकरण की घोषणा से कार्य माहौल खराब हो गया है।
झांसी के बाद अगली बिजली पंचायत 5 जनवरी को प्रयागराज में आयोजित की जाएगी। इसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बिजली कर्मियों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि निजीकरण की नीतियों पर पुनर्विचार किया जाए और अभियंताओं के मुद्दों की गोपनीय जांच कराई जाए।
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