1. Home
  2. यूपी

यमुना नदी में डूबकर तीन बहनों समेत छह किशोरियों की मौत, मौसी के घर आई थी छुट्टियां मनाने

..

आगरा के थाना सिकंदरा क्षेत्र के नगला नाथू गांव में मंगलवार को एक बेहद दुखद घटना सामने आई, जहां यमुना नदी में नहाने गई छह किशोरियां डूब गईं। इनमें तीन सगी बहनों के साथ उनकी हमउम्र मौसी, मौसेरी बहन और चचेरे भाई-बहन भी शामिल थे। इस हादसे के बाद पूरे गांव में मातम पसरा है, परिजन गहरे सदमे में हैं और माहौल बेहद गमगीन हो गया है।

छुट्टियों में मौसी के घर आई थी

शिवानी और सोनम अपनी छुट्टियां मनाने के लिए मौसी के घर नगला नाथू आई थीं। दोनों के सपनों की उड़ान ऊंची थी। शिवानी का सपना था कि वह वकील बनकर समाज के जरूरतमंदों को न्याय दिलाए। हाईस्कूल में उसने शानदार अंक प्राप्त किए थे। वहीं सोनम पुलिस अफसर बनना चाहती थी। उसकी प्रेरणा उसके पिता अशोक से मिली थी, जो सांसद रामजीलाल सुमन की सुरक्षा में तैनात हैं।

गरीबी में भी नहीं रोके सपने

शिवानी के पिता सुंदरलाल एक फैक्टरी में मजदूरी करते हैं। बेटी की पढ़ाई के लिए उन्होंने गहने तक गिरवी रख दिए थे। मां इंद्रा देवी अपनी बेटी की मौत से टूट चुकी हैं, बार-बार यही कहती हैं कि शिवानी के अरमानों को किसकी नजर लग गई। सोनम भी परिवार की लाडली थी, जो भाइयों के साथ साइकिल से स्कूल जाया करती थी। उसे देखकर घरवालों को उम्मीद थी कि वह एक दिन पुलिस की वर्दी पहनेगी।

रील और सेल्फी बनाते-बनाते गया जीवन

हादसे से एक दिन पहले ही मुस्कान और उसकी बहनें यमुना नदी में नहाते हुए रील और सेल्फी बना रही थीं। सोमवार को भी उन्होंने वीडियो शूट किए थे। मंगलवार को भी किशोरियां अपने साथ मोबाइल लेकर गई थीं, हालांकि यह साफ नहीं हो पाया कि हादसे से ठीक पहले भी कोई वीडियो बना था या नहीं। दीपेश नामक रिश्तेदार ने बताया कि वे अक्सर नदी किनारे मस्ती करते हुए वीडियोज बनाती थीं।

घटना से हड़कंप, लखनऊ से आए आदेश

छह मासूमों की मौत की खबर मिलते ही प्रशासन हरकत में आ गया। मुख्यमंत्री कार्यालय से लगातार फोन आने लगे। जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी, एडिशनल सीपी रामबदन सिंह, नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल सहित पुलिस और प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए। थानों की फोर्स और तहसील का स्टाफ भी मौके पर मौजूद रहा।

परिजन शुरू में पोस्टमार्टम कराने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि वे अब किसी कानूनी प्रक्रिया में नहीं पड़ना चाहते। मगर नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल ने समझाया कि पोस्टमार्टम जरूरी है, जिससे मुआवजे की प्रक्रिया में बाधा न आए। उन्होंने परिजनों को दिलासा दिया और भविष्य में बाकी बच्चों की देखभाल पर ध्यान देने की बात कही। काफी समझाने-बुझाने के बाद परिजन पोस्टमार्टम के लिए राजी हुए।