यूपी में इन सरकारी कर्मियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें! मार्च महीने से रोकी जाएगी सैलरी

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के स्पष्ट निर्देशों का पालन न करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। जिन कर्मचारियों ने बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद अब तक अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड नहीं किया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राज्य में अब भी लगभग 1.43 लाख सरकारी कर्मचारी ऐसे हैं जिन्होंने संपत्ति का विवरण जमा नहीं किया है। सरकार ने अब इन कर्मचारियों का वेतन रोकने की तैयारी कर ली है।
28 फरवरी है अंतिम तिथि, वरना वेतन पर लगेगा विराम
प्रदेश सरकार ने 28 फरवरी को सभी राज्य कर्मचारियों के लिए अपनी संपत्ति का ब्योरा देने की अंतिम तिथि निर्धारित की है। यदि कोई कर्मचारी दिसंबर 2025 तक भी अपनी संपत्ति संबंधी जानकारी मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज नहीं करता है, तो मार्च 2025 से उनका वेतन रोक दिया जाएगा।
कर्मचारियों का बड़ा हिस्सा अब भी सूची से बाहर
उत्तर प्रदेश में कुल 8,33,510 राज्य कर्मचारी कार्यरत हैं। सरकारी नियमों के अनुसार, सभी श्रेणियों के कर्मचारियों को 15 फरवरी तक अपनी संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य था। हालांकि, अब तक 6,89,826 कर्मचारियों ने ही इस निर्देश का पालन किया है, जो कुल कर्मियों का 83% हिस्सा है। लेकिन 1,43,684 कर्मचारी अब भी अपनी संपत्ति का विवरण देने में विफल रहे हैं।
मुख्य सचिव की सख्ती, मार्च से कड़े कदम
इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों द्वारा नियमों की अनदेखी करने पर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने सभी विभागों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि शेष कर्मचारियों को 28 फरवरी तक अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति का ब्योरा दर्ज करने के लिए कहा जाए। यदि निर्धारित समयसीमा तक भी वे ऐसा नहीं करते हैं, तो मार्च माह से उनका वेतन रोकने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
इसके अलावा, मुख्य सचिव ने सभी विभागाध्यक्षों को इस आदेश का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी दी है। यदि कर्मचारी फिर भी लापरवाही बरतते हैं, तो उनके खिलाफ आर्थिक दंड एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।
सरकार की इस सख्ती से अब राज्य के सरकारी कर्मचारियों पर दबाव बढ़ गया है, और सभी को तय समय सीमा में अपना ब्योरा जमा करने के लिए अलर्ट कर दिया गया है।
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